Important points for DG – II

Important points for DG – II

सूतिकादशमूल – लघुपंचमुल, सहचर, प्रसारणी, गुडूची, विश्वा, मुस्तक (लघुपंचमुल में आने वाले द्रव्य – शालपर्णी, पृष्नपर्णी, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी, गोक्षुर ) वरी – वरी शब्द शतावरी के लिए प्रयोग होता है। वरा – वरा शब्द त्रिफला (हरितकी, आमलकी,...
VITILIGO

VITILIGO

A DISEASE THAT CAUSE THE LOSS OF SKIN COLOUR IN BLOTCHES. Vitiligo occurs when pigment producing cells die or stop functioning. It is also known as, : LEUCODERMA : ACQUIRED LEUKASMUS : LEUKOPATHIC : ACHROMIA : ACQUIRED PIEBALD SKIN DEFINITION :- An acquired disease,...
पारद (Tricks)

पारद (Tricks)

• सप्त कंचुक – औपाधिक दोष को ही कंचुक दोष की संज्ञा दी जाती है, कंचुक से तात्पर्य है सर्प की केचुली के आकृति के समान पतली परत का आवरण पारद के ऊपर प्रतीत होता है, यह आवरण पारद की ऊपरी सतह को आवृत किए रहता है । इस आवरण को औपाधिक या कंचुक दोष कहते है। Trick –...
उपरस- शोधन, मारण एवं मात्रा [Video]

उपरस- शोधन, मारण एवं मात्रा [Video]

रसरत्नसमुच्य के अनुसार गंधक, गैरिक, कासीस, फिटकिरी, हरताल, मन: शिला, अंजन और कंकुष्ठ इन आठ द्रव्यों को उपरस की संज्ञा दी हैं । परंतु रसार्णव ने गंधक, गैरिक, कासीस, फिटकिरी, हरताल, मन: शिला, राजावर्त और कंकुष्ठ को उपरस की संज्ञा दी हैं । रसहृदयतंत्र में गंधक, गैरिक,...
रत्न (शोधन, मारण, मात्रा) [Video]

रत्न (शोधन, मारण, मात्रा) [Video]

रत्नों का सामान्य शोधन:जयन्ती स्वरस/ कुमारी स्वरस/ अम्ल द्रव्य/ तण्डुलीय स्वरस/ क्षार द्रव्य/ गोमूत्र इनमे से किसी 1 स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन या प्रतप्त कर 7 बार बुझा लेने से रत्नों का सामान्य शोधन हो जाता हैं।रत्नों का सामान्य मारण:रत्न के साथ...
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