by Admin | Sep 3, 2021 | Ayurveda Topics
निघण्टु शब्द निगमनात् निगन्तव:इति औषमान्यव से बना है। निगमनात् शब्द ज्ञान करने के अर्थ में उपयोग किया गया है। निगम ( निश्चित रूप से ज्ञान ) नि उपसर्ग और गम धातु से बना है जिसमे दोनो पदों का स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है। निगम प्रत्यक्ष पद वृत्ति है। इसके बाद निगन्तु...
by Admin | Sep 1, 2021 | Ayurveda Topics
Ayurveda is praised by the Sages and Acharyas as the knowledge that is Virtuous. It is useful and beneficial for this world and the next. Why as it considered so? This is because of the following reasons: The objects of Ayurveda are: • Dharma • Karma • Artha • Moksha...
by Admin | Aug 24, 2021 | Ayurveda Topics
सूतिकादशमूल – लघुपंचमुल, सहचर, प्रसारणी, गुडूची, विश्वा, मुस्तक (लघुपंचमुल में आने वाले द्रव्य – शालपर्णी, पृष्नपर्णी, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी, गोक्षुर ) वरी – वरी शब्द शतावरी के लिए प्रयोग होता है। वरा – वरा शब्द त्रिफला (हरितकी, आमलकी,...
by Admin | Aug 22, 2021 | Ayurveda Topics
• सप्त कंचुक – औपाधिक दोष को ही कंचुक दोष की संज्ञा दी जाती है, कंचुक से तात्पर्य है सर्प की केचुली के आकृति के समान पतली परत का आवरण पारद के ऊपर प्रतीत होता है, यह आवरण पारद की ऊपरी सतह को आवृत किए रहता है । इस आवरण को औपाधिक या कंचुक दोष कहते है। Trick –...
by Admin | Aug 21, 2021 | Ayurveda Topics
रसरत्नसमुच्य के अनुसार गंधक, गैरिक, कासीस, फिटकिरी, हरताल, मन: शिला, अंजन और कंकुष्ठ इन आठ द्रव्यों को उपरस की संज्ञा दी हैं । परंतु रसार्णव ने गंधक, गैरिक, कासीस, फिटकिरी, हरताल, मन: शिला, राजावर्त और कंकुष्ठ को उपरस की संज्ञा दी हैं । रसहृदयतंत्र में गंधक, गैरिक,...
by Admin | Aug 20, 2021 | Ayurveda Topics
रत्नों का सामान्य शोधन:जयन्ती स्वरस/ कुमारी स्वरस/ अम्ल द्रव्य/ तण्डुलीय स्वरस/ क्षार द्रव्य/ गोमूत्र इनमे से किसी 1 स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन या प्रतप्त कर 7 बार बुझा लेने से रत्नों का सामान्य शोधन हो जाता हैं।रत्नों का सामान्य मारण:रत्न के साथ...