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Ayurveda Topics

kalp

कल्प स्थान ( सारांश )

कल्प स्थान को दिव्य स्थान या विकल्प स्थान भी कहते है। इस स्थान में १५ द्रव्यों का आश्रय बनाकर कुल ६०० विरेचन ( वमन + विरेचन ) योगों का वर्णन किया गया हैं। अध्याय १ – मदनकल्पम् मदनफल – Randia spinosa ( Family – Rubiaceae )मदनफल के पर्याय – मदन,…
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Depression

Depression

Introduction- Depression is a common mental disorder and approximately 5% of adult suffer from it worldwide.Depression is now a trending disease worldwide you may find even celebrities commenting on this disease on social media.Depression has become a major contributor to overall global burden of disease . Depression may lead to…
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Aasan MedxLife

आसन

पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन – १. पवनमुकतासन : विधि – पीठ के बल लेटकर दोनों एड़ी और पंजे मिलाकर रखे। श्वास भरते हुए दाएँ पैर को दाएँ दायी ओर ले जाए। श्वास छोड़ते हुए दाए पैर को वापिस लाकर जमीन से 4 अंगुल उपर रखे। श्वास…
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रसायन अध्याय

चरक चिकित्सा स्थान में कुल ३० अध्याय है, चिकित्सा का अर्थ है रोग उत्पादक कारणों को शांत करना या उत्पन्न न होने देना । चिकित्सा स्थान की शुरुआत रसायन व वाजीकरण अध्याय से की गई है, रसायन और वाजीकरण चिकित्सा में रसायन चिकित्सा की प्रधानता है, अतः रसायन की व्याख्या…
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Aasan

आसन

योग का शाब्दिक अर्थ है जोडना। योग का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। आसन तीन प्रकार से किए जाते है।1.खड़े होकर किए जाने वाले आसन।2.बैठकर किए जाने वाले आसन।3.लेटकर करने वाले आसन। पेट के बल करने वाले आसन। पीठ के बल करने वाले आसन। यहां पर हम खडे होकर…
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Dhatu & Updhatu

Dhatu & Updhatu

                  BODY TISSUES ACCORDING TO AYURVEDA(DHATU) Sharira (body) according to Ayurveda is made of many substances. The substance that gives form to the body in Ayurveda is known as dhatu. Dhatu in Sanskrit has various meaning depending on the context in which the word has been used. In our context,…
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agnikarma

AGNIKARMA (THERMAL MICROCAUTERY)

DEFINITION OF AGNIKARMA– त्वऽ.मांससिरास्नायुसंध्यस्थिस्थितेऽत्युग्ररुजिवायौ । Thermal Cautery should be done in presence of very severe pain in the skin, muscles, veins, ligaments, jointsand bones caused by vata (aggravation). (SUSHRUTA SAMHITA – SUTRASTHANA –CHAPTER 12, VERSE 10) • The AGNIKARMA means the application of AGNI(heat). Agnikarma involves a procedure whereby heat…
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विशिष्ट कर्म ( परिभाषा )

कर्म : संयोग च विभाग च कारणं द्रव्यमाश्रितम्।कर्तव्यस्य क्रिया कर्म कर्म नान्दयपेक्षते।। आचार्य चरक के अनुसार जो संयोग और विभाग में अर्थात शरीर मे परिवर्तन में कारण हो , द्रव्य में आश्रित हो और कर्तव्यों के लिए होने वाली क्रिया को कर्म कहा जाता है। कर्म किसी अन्य कर्म की…
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त्रिविध नाडियां एवं षट् चक्र

नाड़ियां असंख्य बतायी गई है, जो हमारे पूर्ण शरीर में व्याप्त होकर, परस्पर सम्बन्धित रूप से कार्यों का निर्वाहण करती हैं । यह नाड़ियां मन एवं कर्म शक्ति का वहन करती है तथा जाल के सदृश संपूर्ण शरीर में ऊर्ध्व:, अध:, तियर्क होकर सभी अंग प्रत्यंगो में व्याप्त होती है…
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Yoga ? सूर्य नमस्कार

योगा के बारे में निश्चित रूप से सुना तो सबने होगा हि और कभी न कभी अभ्यास भी करा होगा, परंतु क्या आप जानते है कि जिसे आप योगा समझते है वह योगा है ही नहीं परंतु योगा का एक अंग है । तो आइए जानते है की असल मे…
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