कल्प स्थान को दिव्य स्थान या विकल्प स्थान भी कहते है। इस स्थान में १५ द्रव्यों का आश्रय बनाकर कुल ६०० विरेचन ( वमन + विरेचन ) योगों का वर्णन किया गया हैं।
अध्याय १ – मदनकल्पम्
मदनफल – Randia spinosa ( Family – Rubiaceae )
मदनफल के पर्याय – मदन, राठ, करहाट, विष पुष्पक, पिण्डितक फल, श्वसन
इस अध्याय में कुल १३३ मदनफल योगों का वर्णन किया गया हैं।
प्रयोज्यांग – मदनफल पिप्पली
मात्रा – अन्तर्नख मुष्टि प्रमाण
प्रयोग – गुल्म, प्रतिश्याय, श्लेष्म ज्वर
अध्याय २ – जीमूतककल्पम्
जीमुतक – Luffa echinita ( Family – Cucurbitaceae )
जीमूतक के पर्याय – देवदाली, वेणी, गरागरी, देवताडक
इस अध्याय में कुल ३९ जीमूतक योगों का वर्णन किया हैं।
प्रयोज्यांग – फूल, फल
मात्रा – १ शुक्ति
प्रयोग – त्रिदोषनाशक, हिक्का रोग, ज्वर, श्वास
अध्याय ३ – इक्ष्वाकुकल्पम्
इक्ष्वाकु – Legenaria siceraria ( Family – Cucurbitaceae )
इक्ष्वाकु के पर्याय – कटुकालाबु, तुम्बी, फलिनी, पिण्डफला
इस अध्याय में कुल ४५ इक्ष्वाकु योगों का वर्णन किया गया हैं।
प्रयोज्यांग – फूल, बीज, स्वरस
मात्रा – अन्तर्नख मुष्टि प्रमाण
प्रयोग – ज्वर, श्वास, कास, छर्दी, विष विकार
अध्याय ४ – धार्मार्गवकल्पम्
धार्मार्गव – Luffa cylindrical ( Family – Cucurbitaceae )
धार्मार्गव के पर्याय – कर्कोटकी, राज किशातकी, महाजालिनी, कोठफला
प्रयोज्यांग -फल, फूल, प्रवाल
मात्रा – अन्तर्नख मुष्टि प्रमाण
प्रयोग – उदररोग, छर्दि, मनो विकार
अध्याय ५ – वत्सककल्पम्
वत्सक – Holorhina antidysentrica ( Family – Apocynaceae )
वत्सक के पर्याय – कुटज, इंद्रयव, कलिंगक, गिरीमल्लिका
इस अध्याय में कुल १८ वत्सक के योगों का वर्णन किया गया हैं।
प्रयोज्यांग – बीज
मात्रा – ,अन्तर्नख मुष्टि प्रमाण
प्रयोग – रक्तपित्त, ज्वर, वातरक्त, ह्रदयरोग, विसर्प, कफज विकार
अध्याय ६ – कृतवेधनकल्पम्
कृतवेधन – Luffa acutangulata ( Family – Cucurbutaceae )
कृतवेधन के पर्याय – क्ष्वेड, कोशातकी, मृदंगफल
प्रयोज्यांग – फल, फूल
प्रयोग – पाण्डु, शोथ, गुल्म, कुष्ट, प्लीहा वृद्धि, क्रुत्रिम विष
अध्याय ७ – श्यामत्रिवृत्कल्पम्
श्यामत्रिवृत – Operculina turphetum ( Family – Convulvulaceae )
श्यामत्रिवृत के पर्याय – त्रिवृता, त्रिभंडी, श्यामा, सुवहा, सर्वानुभूति, कुटरणा
इस अध्याय में कुल ११० श्यामत्रिवृत योगों का वर्णन किया गया हैं।
प्रयोज्यांग – मूल
प्रयोग – सर्वरोगहर, ज्वर, वातरक्त, ह्रदयरोग
त्रिवृता सुख विरेचनानं।
अध्याय ८ – चतुरङ्गुलकल्पम्
चतुरङ्गुल – Cassia fistula ( Family – Caesalpiniaceae )
चतुरङ्गुल के पर्याय – अरागवध, राजवृक्ष, अवघातक, शम्पाक, कर्णिकार, कृतमाला
इस अध्याय में कुल १२ चतुरङ्गुल योगों का वर्णन किया गया हैं।
प्रयोज्यांग – फल, मज्जा
प्रयोग – ज्वर, वातरक्त, क्षतक्षीण, ह्रदयरोग, उदावर्त, सुकुमार व्यक्ति
चतुरङ्गुल मृदु विरेचनानं।
अध्याय ९ – तिल्वककल्पम्
तिल्वक – Symplocos racemosus ( Family – Symplocaceae )
तिल्वक के पर्याय – लोध्र, बृहत्पत्र, तिरीटक
इस अध्याय में कुल १६ तिल्वक के योगों का वर्णन किया गया हैं।
प्रयोज्यांग – मूल, त्वक
अध्याय १० – सुधाकल्पम्
सुधा – Euphorbia nerifolia ( Family – Euphorbiaceae )
सुधा के पर्याय – स्नूही क्षीर, महावृक्ष, सेहुड़
प्रयोज्यांग – क्षीर
प्रयोग – गुल्म, पाण्डु, उदररोग, कुष्ठ, मधुमेह, अर्दित, दूषिविष
अध्याय ११ – सप्तालाशङ्खिनीकल्पम्
सप्तला – Acaria concinna ( Family – Euphorbiaceae )
सप्तला के पर्याय – बहुफेनरसा, चर्मसाह्वा
शङ्खिनी के पर्याय – यवतिक्ता, तिकतला, अक्षिपीडक
प्रयोज्यांग – फल (शङ्खिनी) , मूल (सप्ताला)
प्रयोग – गुल्म, उदररोग, गरविष, श्लेष्मवर्धक
अध्याय १२ – दन्तीद्रवन्तीकल्पम्
दन्ती – Baliospermum montanum ( Family – Euphorbiaceae )
द्रवन्ती – Croton tinglium (family – euphorbiaceae)
दन्ती के पर्याय – निकुम्भ, उडम्बरपर्णी, मुकूलक
द्रवन्ती के पर्याय – चित्रा, न्यग्रोधी, मूषिकाह्वया
प्रयोज्यांग – दन्ती मूल (श्याव), द्रवन्ती मूल (ताम्र)
Contributor – Medico Eshika Keshari
👍
Nice