विशिष्ट कर्म ( परिभाषा )
कर्म : संयोग च विभाग च कारणं द्रव्यमाश्रितम्।कर्तव्यस्य क्रिया कर्म कर्म नान्दयपेक्षते।। आचार्य चरक के अनुसार जो संयोग और विभाग में अर्थात शरीर मे परिवर्तन में कारण हो , द्रव्य में आश्रित हो और कर्तव्यों के लिए होने वाली क्रिया को कर्म कहा जाता है। कर्म किसी अन्य कर्म की…