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#RasShastra

parad sanskar

पारद संस्कार :

” शोधनं दोषहरणं संस्कारञ्च बलतेजसोअभिवर्धनम्। “ पारद का शोधन करने से पारद दोष मुक्त हो जाता है और पारद संस्कार से दोषो की निवृत्ति के साथ साथ उसमे विशिष्ट गुणोंं की उत्पत्ति और बल और तेज की वृद्धि भी होती है। रसायन कर्म के लिए पारद संस्कार कराने के बाद…
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MedxLife

पारद (Tricks)

• सप्त कंचुक – औपाधिक दोष को ही कंचुक दोष की संज्ञा दी जाती है, कंचुक से तात्पर्य है सर्प की केचुली के आकृति के समान पतली परत का आवरण पारद के ऊपर प्रतीत होता है, यह आवरण पारद की ऊपरी सतह को आवृत किए रहता है । इस आवरण…
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उपरस- शोधन, मारण एवं मात्रा [Video]

रसरत्नसमुच्य के अनुसार गंधक, गैरिक, कासीस, फिटकिरी, हरताल, मन: शिला, अंजन और कंकुष्ठ इन आठ द्रव्यों को उपरस की संज्ञा दी हैं । परंतु रसार्णव ने गंधक, गैरिक, कासीस, फिटकिरी, हरताल, मन: शिला, राजावर्त और कंकुष्ठ को उपरस की संज्ञा दी हैं । रसहृदयतंत्र में गंधक, गैरिक, कासीस, स्फटिका, तालक,…
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रत्न

रत्न (शोधन, मारण, मात्रा) [Video]

रत्नों का सामान्य शोधन:जयन्ती स्वरस/ कुमारी स्वरस/ अम्ल द्रव्य/ तण्डुलीय स्वरस/ क्षार द्रव्य/ गोमूत्र इनमे से किसी 1 स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन या प्रतप्त कर 7 बार बुझा लेने से रत्नों का सामान्य शोधन हो जाता हैं। रत्नों का सामान्य मारण:रत्न के साथ शुद्ध गंधक,…
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