Dhatu & Updhatu
BODY TISSUES ACCORDING TO AYURVEDA(DHATU) Sharira (body) according to Ayurveda is made of many substances. The substance that gives form to the body in Ayurveda is known as dhatu. Dhatu in Sanskrit has various meaning depending on the context in which the word has been used. In our context,…
AGNIKARMA (THERMAL MICROCAUTERY)
DEFINITION OF AGNIKARMA– त्वऽ.मांससिरास्नायुसंध्यस्थिस्थितेऽत्युग्ररुजिवायौ । Thermal Cautery should be done in presence of very severe pain in the skin, muscles, veins, ligaments, jointsand bones caused by vata (aggravation). (SUSHRUTA SAMHITA – SUTRASTHANA –CHAPTER 12, VERSE 10) • The AGNIKARMA means the application of AGNI(heat). Agnikarma involves a procedure whereby heat…
विशिष्ट कर्म ( परिभाषा )
कर्म : संयोग च विभाग च कारणं द्रव्यमाश्रितम्।कर्तव्यस्य क्रिया कर्म कर्म नान्दयपेक्षते।। आचार्य चरक के अनुसार जो संयोग और विभाग में अर्थात शरीर मे परिवर्तन में कारण हो , द्रव्य में आश्रित हो और कर्तव्यों के लिए होने वाली क्रिया को कर्म कहा जाता है। कर्म किसी अन्य कर्म की…
त्रिविध नाडियां एवं षट् चक्र
नाड़ियां असंख्य बतायी गई है, जो हमारे पूर्ण शरीर में व्याप्त होकर, परस्पर सम्बन्धित रूप से कार्यों का निर्वाहण करती हैं । यह नाड़ियां मन एवं कर्म शक्ति का वहन करती है तथा जाल के सदृश संपूर्ण शरीर में ऊर्ध्व:, अध:, तियर्क होकर सभी अंग प्रत्यंगो में व्याप्त होती है…
Yoga ? सूर्य नमस्कार
योगा के बारे में निश्चित रूप से सुना तो सबने होगा हि और कभी न कभी अभ्यास भी करा होगा, परंतु क्या आप जानते है कि जिसे आप योगा समझते है वह योगा है ही नहीं परंतु योगा का एक अंग है । तो आइए जानते है की असल मे…
HRUDROG NIDAN (AETIOLOGY OF CARDIOVASCULAR DISEASES)
A) HRUDROG NIDAN :- i.) The heart, itself being a muscular organ, derives its nutrition from rasa, its oxygenfrom rakta and its vital energy from oja. Its movements are controlled by vyanavayu (autonomic nervous system). ii.) Sadhak pitta represents intracellular enzymes in the cells of the heart and helps itto…
भैषज्य कल्पना (Imp. points & Tricks)
नव्य – पुराण द्रव्य ग्रहण नियम :- नव्य – Trick – " गुवा में कुकु अश्व को शतावरी, सौंफ चरा कर प्रसारित कर रही थी " गुडुची, वासा, कुटज, कुषमांड़, शतावरी, अश्वगंधा, सहचरी, सौंफ (शतपुष्पा), प्रसारणी पुराण – गुड़, शहद, घी, अन्न, बाह्य विडंग, पिप्पली ग्राह्य ग्रहाता नियम :- •…
औषध संग्रह काल एवं संरक्षण
औषध संग्रह काल : १. प्रयोज्यांग के अनुसार औषधियों का संग्रह – (a) आचार्य चरकानुसार, औषधियों का संग्रह– Trick – ” MSMS”(M – मूल, S – शाखा पत्र ) शिशिर ऋतु – इस ऋतु में मूल का संग्रहण करना चाहिए वसंत ऋतु – इस ऋतु में शाखा पत्र का संग्रहण…
पारद संस्कार :
” शोधनं दोषहरणं संस्कारञ्च बलतेजसोअभिवर्धनम्। “ पारद का शोधन करने से पारद दोष मुक्त हो जाता है और पारद संस्कार से दोषो की निवृत्ति के साथ साथ उसमे विशिष्ट गुणोंं की उत्पत्ति और बल और तेज की वृद्धि भी होती है। रसायन कर्म के लिए पारद संस्कार कराने के बाद…