AGNIKARMA (THERMAL MICROCAUTERY)

AGNIKARMA (THERMAL MICROCAUTERY)

DEFINITION OF AGNIKARMA- त्वऽ.मांससिरास्नायुसंध्यस्थिस्थितेऽत्युग्ररुजिवायौ । Thermal Cautery should be done in presence of very severe pain in the skin, muscles, veins, ligaments, jointsand bones caused by vata (aggravation). (SUSHRUTA SAMHITA – SUTRASTHANA...
विशिष्ट कर्म ( परिभाषा )

विशिष्ट कर्म ( परिभाषा )

कर्म : संयोग च विभाग च कारणं द्रव्यमाश्रितम्।कर्तव्यस्य क्रिया कर्म कर्म नान्दयपेक्षते।। आचार्य चरक के अनुसार जो संयोग और विभाग में अर्थात शरीर मे परिवर्तन में कारण हो , द्रव्य में आश्रित हो और कर्तव्यों के लिए होने वाली क्रिया को कर्म कहा जाता है। कर्म किसी अन्य कर्म...
त्रिविध नाडियां एवं षट् चक्र

त्रिविध नाडियां एवं षट् चक्र

नाड़ियां असंख्य बतायी गई है, जो हमारे पूर्ण शरीर में व्याप्त होकर, परस्पर सम्बन्धित रूप से कार्यों का निर्वाहण करती हैं । यह नाड़ियां मन एवं कर्म शक्ति का वहन करती है तथा जाल के सदृश संपूर्ण शरीर में ऊर्ध्व:, अध:, तियर्क होकर सभी अंग प्रत्यंगो में व्याप्त होती है ।...
Yoga ?  सूर्य नमस्कार

Yoga ? सूर्य नमस्कार

योगा के बारे में निश्चित रूप से सुना तो सबने होगा हि और कभी न कभी अभ्यास भी करा होगा, परंतु क्या आप जानते है कि जिसे आप योगा समझते है वह योगा है ही नहीं परंतु योगा का एक अंग है । तो आइए जानते है की असल मे योगा है क्या ?? योग का शाब्दिक अर्थ ‘जुड़ना’ होता...
भैषज्य कल्पना (Imp. points & Tricks)

भैषज्य कल्पना (Imp. points & Tricks)

नव्य – पुराण द्रव्य ग्रहण नियम :- नव्य – Trick – ” गुवा में कुकु अश्व को शतावरी, सौंफ चरा कर प्रसारित कर रही थी ” गुडुची, वासा, कुटज, कुषमांड़, शतावरी, अश्वगंधा, सहचरी, सौंफ (शतपुष्पा), प्रसारणी पुराण – गुड़, शहद, घी, अन्न, बाह्य...
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