ज्वर का उल्लेख चरक संहिता के निदान स्थान के प्रथम अध्याय में तो किया ही है साथ ही अन्य जगह पर भी वर्णन किया गया है जैसे,
•चरक संहिता के चिकित्सा स्थान, अध्याय ३
• सुश्रुत संहिता के उत्तर तन्त्र, अध्याय ३९
• अष्टांगहृदय के निदान स्थान , अध्याय २
• माधव निदान अध्याय २
• भावप्रकाश अध्याय ४
ज्वर को सभी रोगों में प्रधान माना जाता है।
ग्रंथो मे रुद्रकोप से ज्वरोत्पत्ति का वर्णन मिलता हैं, ज्वर जन्म से मृत्यु तक कभी न कभी हर प्राणी में एक बार अवश्य उत्पन्न होता है ।
ज्वर रसवह स्त्रोतस की व्याधि है, यह स्वतंत्र रूप में तो मनुष्य को होती ही हैं परन्तु दूसरी व्याधि के लक्षण स्वरूप भी होती है। ज्वर को आधुनिक विज्ञान में fever या pyrexia के नाम से जाना जाता है।
ज्वर के भेद –
चरक ने चिकित्सा स्थान में निम्न द्विविध भेदों का वर्णन किया है –
• शारीरिक ज्वर , मानसिक ज्वर
• अंतर्वेग ज्वर , बहिर्वेग ज्वर
• साध्य ज्वर , असाध्य ज्वर
• प्राकृत ज्वर, वैकृत ज्वर
• सौम्य ज्वर , आग्नेय ज्वर
चरक ने चिकित्सा स्थान में काल भेद से निम्न भेद किये है –
• संतत ज्वर (Continuous or remittent fever)
• सतत ज्वर (Double quotidian fever)
• अन्येधुष्क ज्वर (Quotidian fever)
• तृतीयक ज्वर (Tertian fever)
• चतुर्थक ज्वर (Quartan fever)
चरक ने चिकित्सा स्थान में आश्रय भेद से निम्न भेद किये है –
• रसग्त ज्वर
• रक्तग्त ज्वर
• मांसगत ज्वर
• मेदोगत ज्वर
• अस्थिगत ज्वर
• मज्जागत ज्वर
• शुक्रगत ज्वर
ज्वर के सामान्य लक्षण (चरकानुसार) –
संताप
अरुचि
तृष्णा
अंगमर्द
हृदयव्यथा
आचार्य चरक ने इन्हे ज्वर के प्रभाव के अंतर्गत वर्णित किया है।
ज्वर के विशिष्ट पूर्वरूप –
वातिक ज्वर में जृंभा आना (Yawning)
पैत्तिक ज्वर में नेत्रों में दाह होना (Burning sensation in eyes)
कफज ज्वर में अरुचि होना (Anorexia)
ज्वर के निदान–
वैसे तो चरक संहिता में ज्वर के भेदों के अनुसार सबके निदानो का अलग अलग वर्णन है, परन्तु सुश्रुत अनुसार ज्वर के कुछ निदानों का वर्णन निम्न प्रकार से है –
• Due to any Trauma / Injury / आघात
• Due to any inflammatory reaction going on in the body
• अत्याधिक शारीरिक थकावट
• May occur due to contact / intake of poisonous substance (विषाक्ता / Poisoning)
• Allergic reaction due to different allergens , this allergens vary from people to people, some may be allergic to pollen grains and some may be allergic to drugs
• भय, काम, क्रोध ( Psychological condition )
• अजीर्ण
• Any other cause which causes inflammation in the body will directly lead to fever in the person
• सबसे महत्वपूर्ण निदान है, जठारग्नि की विकृति, इसी विकृति के आधार पर ज्वर की स्मप्राप्ति को समझा जाता है।
इस विडियो के माध्यम से ज्वर की समप्राप्ति को समझा जा सकता है
Contributor- Dr. Anwesha Mukherjee
Nice explanation
Helpful