रत्नों का सामान्य शोधन:
जयन्ती स्वरस/ कुमारी स्वरस/ अम्ल द्रव्य/ तण्डुलीय स्वरस/ क्षार द्रव्य/ गोमूत्र इनमे से किसी 1 स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन या प्रतप्त कर 7 बार बुझा लेने से रत्नों का सामान्य शोधन हो जाता हैं।
रत्नों का सामान्य मारण:
रत्न के साथ शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल और शुद्ध मन: शिला को लकुच स्वरस में घोंटकर 3 गजपुट देने से रत्नों का सामान्य मारण होता है।
रत्नों का विशेष शोधन , मारण और उनकी मात्रा :
१. रत्न माणिक्य :
• शोधन –
माणिक्य का निम्बू स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से माणिक्य शुद्ध हो जाता हैं ।
• मारण –
माणिक्य को शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल और मन: शिला के साथ लकुच स्वरस में मर्दन कर चक्रिका बनाकर 8 गजपुट देने से माणिक्य का श्वेत भस्म बन जाता है।
• मात्रा –
१/४ – १/२ रत्ती
२. रत्न मुक्ता :
• शोधन –
मुक्ता का अगस्त्य पत्र स्वरस/ जयंती पत्र स्वरस या चूर्णोंदक में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से मुक्ता का शोधन हो जाता है।
• मारण –
मुक्ता चूर्ण को गुलाब जल या गोदुग्ध की भावना देकर 3 लघुपुट देकर श्वेत भस्म बन जाता है।
• मात्रा –
१/४ – 1 रत्ती
३. रत्न प्रवाल :
• शोधन –
प्रवाल का जयंती पत्र स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से प्रवाल शुद्ध हो जाता है।
• मारण –
प्रवाल के सूक्ष्म चूर्ण को गोदुग्ध की भावना देकर 3 गजपुट देकर श्वेत भस्म बन जाता है।
• मात्रा –
१/२ – 2 रत्ती
४. रत्न मरकत / पन्ना :
• शोधन –
मरकत को गोदुग्ध में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से ।
• मारण –
मरकत चूर्ण को शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल और शुद्ध मन: शिला के साथ लकुच स्वरस से मर्दन कर चक्रिया बनाकर 8 गजपुट देते है।
• मात्रा –
१/४ – १ रत्ती
५. रत्न पुखराज :
• शोधन –
पुखराज को कुलत्थ क्वाथ और कांजी ( १:१) मिश्रित द्रव दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से ।
• मारण –
पुखराज चूर्ण को शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल और शुद्ध मन: शिला के साथ लकुच स्वरस से मर्दन कर चक्रिका बनाकर 8-10 गजपुट देते है।
• मात्रा –
१/४- १ रत्ती
६. रत्न हीरक :
• शोधन –
हीरक को कुलत्थ क्वाथ में दोलायंत्र विधि से 3 दिनों तक स्वेदन करने से ।
• मारण –
हीरक चूर्ण को रस सिंदूर, शुद्ध गंधक और शुद्ध मन: शिला में मर्दन कर गजपुट की अग्नि देकर फिर 1 पुट देने के बाद रस सिंदूर को छोड़कर शेष सभी द्रव्यों के साथ घोंटकर 14 पुट देकर श्वेत भस्म बनता है।
• मात्रा –
१/३२- १/१६ रत्ती
७. रत्न नीलम :
• शोधन –
नीली स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से ।
• मारण –
नीलम चूर्ण को शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल और शुद्ध मन: शिला के साथ लकुच स्वरस से मर्दन कर चक्रिका बनाकर 8 गजपुट देकर श्वेत भस्म बनाते है।
• मात्रा –
१/८- १/२ रत्ती
८. रत्न गोमेद :
• शोधन –
गोमेद को निम्बू स्वरस में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से इसका शोधन हो जाता है।
• मारण –
गोमेद चूर्ण को शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल और शुद्ध मन: शिला के साथ लकुच स्वरस से मर्दन कर चक्रिका बनाकर 8 गजपुट देकर कत्थई वर्ण का भस्म बनाते है।
• मात्रा –
१/४ – १ रत्ती
९. रत्न वैदूर्य :
• शोधन –
वैदूर्य को त्रिफला क्वाथ में दोलायंत्र विधि से 3 घंटे तक स्वेदन करने से इसका शोधन हो जाता है।
• मारण –
वैदूर्य चूर्ण को शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल और शुद्ध मन: शिला के साथ लकुच स्वरस से भावित कर चक्रिया बनाकर 8 गजपुट देकर श्वेत भस्म बनाते है।
• मात्रा –
१/४ – १ रत्ती
"इस video के माध्यम से यह शोधन मारण की comparative study करके आसानी से याद कैसे करे ये समझे" -
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Easy way of learning