• सप्त कंचुक –
औपाधिक दोष को ही कंचुक दोष की संज्ञा दी जाती है, कंचुक से तात्पर्य है सर्प की केचुली के आकृति के समान पतली परत का आवरण पारद के ऊपर प्रतीत होता है, यह आवरण पारद की ऊपरी सतह को आवृत किए रहता है । इस आवरण को औपाधिक या कंचुक दोष कहते है।
Trick –
"पापा बादाम अंधा है"
Meaning–
पर्पटी, पाठनी, भेदी, द्रावी, मलकारी, अंधकारी, ध्वांक्षी
पारद का विशेष शोधन –
• नाग दोष निवारणार्थ –
Trick-
"नाग गृह में ईटों के बीच हरी ऊन में हैं"
Meaning–
गृहधूम, ईंट का चूर्ण, हरिद्रा चूर्ण, ऊन
इन सबको एकत्र करके पारद के साथ एक दिन तक मर्दन करने के बाद अम्ल कांजी से धोकर पारद को प्राप्त करे, इस विधि के द्वारा पारद का नाग दोष नष्ट हो जाएगा ।
• वंग दोष निवारणार्थ –
Trick-
"इंद्र अंकल की वंग हरि"
Meaning-
इंद्रायण, अंकोल, हरिद्रा चूर्ण
इन सबके साथ पारद का मर्दन कर लेने के पश्चात कांजी से धोकर स्वच्छ कर लेने से पारद का वंग दोष नष्ट हो जाता है ।
• अग्निदोष निवारणार्थ –
रसतरंगिणी के अनुसार चित्रकमूल के चूर्ण से पारद का मर्दन कर लेने से पारद में स्थित यह अग्निदोष नष्ट हो जाता हैं ।
• मलदोष निवारणार्थ –
अम्लतासत्वक के चूर्ण के साथ पारद का मर्दन कर लेने से पारद का मलदोष नष्ट हो जाता हैं ।
• चापल्यदोष निवारणार्थ –
धतूर बीज के साथ पारद का मर्दन कर लेने से पारद का चापल्यदोष नष्ट हो जाता हैं ।
• विषदोष निवारणार्थ –
Trick- विचित्र ( वि - विष दोष , चित्र - चित्रकमूल )
रसरत्नसमुच्य के अनुसार चित्रकमूल के चूर्ण के साथ पारद का मर्दन कर लेने से पारद का विष दोष नष्ट हो जाता हैं ।
• गिरिदोष निवारणार्थ –
त्रिकटु चूर्ण के साथ पारद का मर्दन कर लेने से पारद का गिरी दोष नष्ट हो जाता हैं ।
• असह्यग्नि दोष निवारणार्थ –
गोक्षुरु के चूर्ण या कल्क के साथ पारद का मर्दन कर लेने से पारद का असह्यग्नि दोष नष्ट हो जाता हैं ।
पारद के ८ संस्कार –
Trick-
"सेमू पार नदी"
Meaning–
स्वेदन, मर्दन, मूर्च्छन , उत्थापन, पातन, रोधन, नियमन, दीपन
पारद की गतियां –
पारद का जब संस्कार होता है, तब विभिन्न प्रक्रियाओं में गुजरते हुऐ पारद के भार में कमी आ जाती है, यह कमी पारद के गिरने, उड़ने आदि कारणों से होती है इसी को कुछ आचार्यों ने गति कहकर सूचित किया है ।
Trick-
"जब हम धूम जीव थे"
Meaning–
जलग, हंसग, मलग, धूमग, जीवगति
पारद बंध –
जिन जिन क्रियाओं के द्वारा पारद की चंचलता का नाश होता है उन्हे रस बंध या पारद बंध कहा जाता है।
Trick-
"हटारे आभा की पीठ (Wrna) क्षार से खोट पोट (Hokar) काली (Ho Jayegi)
सन्नी और सभी कुमार, बालक, तरुण, वृद्ध, मूर्तिबंध (Hokar) श्रृंखला से जल, अग्नि दोनों से महासंस्कार करे"
२५ पारद बंध –
हठ बंध, आरोट बंध, आभास बंध, क्रियाहीन बंध, पिष्टिका बंध, क्षार बंध, खोट बंध, पोट बंध, कल्क बंध, कज्जली बंध, सजीव बंध, निर्जीव बंध, निर्बीज बंध, सबीज बंध, कुमारक बंध, बालक बंध, तरुण बंध, वृद्ध बंध, मूर्तिबंध, श्रृंखला बंध, जल बंध, अग्नि बंध, द्रुति बंध, महाबंध, सुसंस्कृत बंध
गंधक जारण फल (रसतारंगिणी के अनुसार) –
Trick-
"SaM पु गा"
समगुण गंधक जीर्ण – सामान्य रोग का नाश (Sa)
द्विगुण गंधक जीर्ण – महारोगों का नाश (M)
त्रिगुण गंधक जीर्ण – पुंस्त्व वृद्धि (प)
चतुर्गुण गंधक जीर्ण – उत्साह, मेधा, स्मृति (उ)
पंचगुण गंधक जीर्ण – गद संतापनाशन (ग)
षडगुण गंधक जीर्ण – अदभुत कार्य करने वाला (आ)
कौनसा पारद श्रेष्ठ हैं ??
नीला आभा वाला, बाहर से पूरी तरह उज्जवल, बिलकुल सूर्य के समान, जो दूषित वर्ण, मिश्रित वर्ण या पाण्डु वर्ण का पारद है वह दूषित है, उसका प्रयोग औषधि निर्माण में नही करना चाहिए। जो पारद चांदी जैसा और हीरे से तेज आभा वाला है वह पारद श्रेष्ठ है ।
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Nice